...

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कलम थाम ली मैने
खुद को मिटाने की, हर कोशिश नाकाम हुई।
आखिर को थक हार कर कलम थाम ली मैने।

मुझको यकीन था, तुम आओगी जनाजे पर।
मेरे यकीं की हद तो देख, नब्ज थाम ली मैने।

जब तेरे साथ रहा, एक शेर भी मुश्किल था।
हिज्र का ही कमाल था, गज़ल थाम ली मैने।

तुझे जिस रस्ते से आना था, उसी पे ताउम्र।
सांसें भले ही गुजर गईं, नजर थाम ली मैने।

© छगन सिंह जेरठी