वो जो प्रेम था..!
कमाल है...
औऱ एक अनवरत सा सवाल भी,
अच्छा.. प्रेम कहाँ तक सत्य है
क्षणिक.. बदलते मौसम की तरह या.. या फिऱ अंतहीन,
अब मैं अपनी बात कहूँ तो
सब एक मिथ्या सा आकर्षण है.. आकर्षण समाप्त तो बस प्रेम भी समाप्त,
मुझसे भी हुआ था..
किसी को मतलबी सा प्रेम हुआ
किसी को मुझमें...
औऱ एक अनवरत सा सवाल भी,
अच्छा.. प्रेम कहाँ तक सत्य है
क्षणिक.. बदलते मौसम की तरह या.. या फिऱ अंतहीन,
अब मैं अपनी बात कहूँ तो
सब एक मिथ्या सा आकर्षण है.. आकर्षण समाप्त तो बस प्रेम भी समाप्त,
मुझसे भी हुआ था..
किसी को मतलबी सा प्रेम हुआ
किसी को मुझमें...