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विभिन्न आयामो पर प्रेम.....❤️❤️
प्रेम कभी नही होता है ओर प्रेम कभी भी किसी एक पर आश्रित नही होता प्रेम तो प्रकृति मे पहले से ही मौजूद रहता है जो समय-समय पर महसूस होता रहता है। ओर मोह है जो वो प्रेम का प्रतिद्वंदी भी है ओर प्रेम का एक छोटा सा भाग भी है, जेसे एक छोटे बच्चे को एक खिलोना या मां कि गोद इतनी प्रिय होती है जिसके लिए वो किसी से भी लड जाता है, अब थोड़ा बडा होता है तो वो प्रेम दोस्तो के लिए हो जाता है अब उसे खिलाने इतने प्रिय नही रहते। ओर जब वह जवान होता है तो किसी लड़की/लडका कि ओर भागता है। फिर वो अपने बच्चे कि ओर चला जाता है, फिर पोते ओर भक्ति कि ओर लगता है। ओर प्रकृति का प्रेम भी हर आयामो पर भिन्न-भिन्न होता चला जाता है ।

अब प्रेम को देखिए जिसे आप किसी एक पर आश्रित करते है, ओर उससे कई उम्मीदे लगा बैठते ओर अन्त मै पछताते है। अब बात आती है कि विभिन्न आयामो पर प्रेम का अलग अलग रूप दिखा तो क्या किसी से प्रेम कम या ज्यादा था, जबकी ऐसा बिल्कुल नही है। क्योंकि विभिन्न आयामो पर प्रेम अलग अलग रूप मै आता है, प्रेम कभी खत्म नही होता हमेशा बना रहता है। बस किसी कारणवश मोह को प्रेम का रूप दे दिया जाता है ओर उसे बदनाम कर दिया जाता है ।
इसलिए हर रुप मे प्रेम को आनंद कि भांती जीए तो आप पायेगे हर तरफ सिर्फ प्रेम ही प्रेम है । परन्तु मोह को प्रेम का नाम ना दे अन्यथा पुरी ज़िन्दगी पछताओगे ।
ये जो आपको जिन्दगी मिली है ना ये बेस कीमती है इसे किसी दूसरे कि वजह से नर्क ना बनाए।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

आप पुरा पढ़कर प्रेम के बारे मे अगर कुछ भी हो तो कृपया टिप्पणी जरूर करे ।

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