...

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कुछ अधूरे सपने👣

काफी खोयी सी रहती हूं
दिन भर जागकर भी कुछ सोयी सी रहती हूं।
नींद आती नहीं कुछ रातों में,
दुख छुपाते है हम प्यार भरी बातों में
आखिर क्या है ये काफ़िला?
जिंदगी रूठ सी गयी है,
टूट रहा है हौसला
बेचैन दिल खुद को समझता कहां,
बस बिखरे सपनों का बगीचा यहां।
अक्सर दिल को समझाती यही,
दुख के बाद हसीन शाम आयेगी ही सही
chats पे smiley भेजते हैं बस चेहरे पर
मुस्कुराते नहीं।
दूसरों के गम मिटा तो देते है ,
लेकिन अपना बताते नहीं
अपने लोग सपने देखते हैं
बेटी UPSC crack कर जाएगी
पर बेटी को ये नहीं पता कि
क्या खुद से लड़कर वह जीत पाएगी?
आगे का रास्ता अंधेरा दिखता है,
दबते हुए सपनों की चीख हर रोज
सुनने को मिलती है।
इस कमरे में रहते रहते दम घूंट चुके है
शौक तो पैसों के बाज़ार में कब के बिक चुके हैं।
मै वो हूं जो खुशी के पलों में भी रो चुकी हूं
खुद से मिलने से पहले ही बहुत बार खो चुकी हूं
पर यकीन है मुझे कि ,
कल की सुबह अच्छी होगी।🌸😊
© anu singh