रहगुज़र
हवा सा बह के भी कुछ पाया नहीं ,
लहरों सा ठहर के भी कुछ गंवाया नहीं ,
मौसम की तरह मिज़ाज भी बदले मगर ,
कोई मुसाफ़िर इस रहगुज़र आया नहीं ।
लहरों सा ठहर के भी कुछ गंवाया नहीं ,
मौसम की तरह मिज़ाज भी बदले मगर ,
कोई मुसाफ़िर इस रहगुज़र आया नहीं ।