...

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रहगुज़र
हवा सा बह के भी कुछ पाया नहीं ,

लहरों सा ठहर के भी कुछ गंवाया नहीं ,

मौसम की तरह मिज़ाज भी बदले मगर ,

कोई मुसाफ़िर इस रहगुज़र आया नहीं ।