...

14 views

***अपने अनजाने से***

दिन-रात दिखाई देने वाले, चेहरे पहचाने से
नहीं समझ पाती क्यूँ मैं , कुछ अपने अनजाने से ।

पैदा हुए ,बड़े हुए संग संग ,फिर भी समझ ना आए,
साथ पढ़े और खेले कूदे, फिर भी मन ना भाए,
बाहर से कुछ, भीतर से कुछ, दोहरी जिनकी नीति ,
शायद दिल को समझ ना आए, दल बदली सी प्रीति।

जिन्हें प्रेम से गले लगा , रहते हम मनमाने से
समझ नहीं पाती क्यूँ मैं ,कुछ अपने अनजाने से।

दुनिया इतनी सही नहीं है ,मुझे सिखाते रहते ,
खुद के स्वार्थ के...