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थोड़ी सी धूप✍
।।थोड़ी-सी धूप।।

थोड़ी-सी धूप तो, खिले ज़िन्दगी में,
थोड़ा-सा रूप तो, मिले ज़िन्दगी में।

होनी हीं हो रही, नहीं वश हमारा;
करते भी क्या रहें,गिले ज़िन्दगी में,

होती है रौशनी, जला उम्र बाती;
दीया के तेल ज्यों, जले ज़िन्दगी में,

अपने सिद्धांँत पर, जमे जो रहे हैं;...