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थोड़ी सी धूप✍
।।थोड़ी-सी धूप।।

थोड़ी-सी धूप तो, खिले ज़िन्दगी में,
थोड़ा-सा रूप तो, मिले ज़िन्दगी में।

होनी हीं हो रही, नहीं वश हमारा;
करते भी क्या रहें,गिले ज़िन्दगी में,

होती है रौशनी, जला उम्र बाती;
दीया के तेल ज्यों, जले ज़िन्दगी में,

अपने सिद्धांँत पर, जमे जो रहे हैं;
गुज़रे तूफ़ान ना, हिले ज़िन्दगी में,

थोड़ी सी छूट वो, इधर या उधर ले;
ज़्यादा पर लोभ ना,चले ज़िन्दगी में,

सुख-दुख समभाग हीं,मिलेगा यहांँ पे;
अमृत के संग विष, पले ज़िन्दगी में,

अच्छा क्या, क्या बुरा, सभी जानते हैं;
अपने ही आपको, छले ज़िन्दगी में,

ऐसा कोई नहीं, कभी ना ग़लत जो;
मिलते ना दूध के, धुले ज़िन्दगी में,

कोई मरना यहांँ, नहीं चाहता है;
कितने हैं रस मगर, घुले ज़िन्दगी में।।"

By Rashmi Shukla
© Saiyaahi🌞✒