...

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तन्हाई से यारी
तन्हाई से यारी थी
अंधेरों में भी रोशनी की
तलाश जारी थी।
खामोश लम्हों में
बातें हजार थीं,
दिल की गहराइयों
में कुछ अनकही
सी पुकार थीं।।।

भीड़ में भी खुद को
अकेला पाया,
अपनों से ही खुद
को जुदा पाया।।
सपनों के सफर में
कहीं खो गए,
आसुओं की बारिश में
भी मुस्कुरा गए।।।

जिंदगी की राहों
में कई मोड़ थे,
हर मोड़ पर मिले
दर्द कुछ और थे।।

फिर भी, हर दर्द
में इक सुकून सा था,
जैसे तन्हाई में भी
कोई पास था।।।

आज भी वो तन्हाई
से यारी है,
मगर अब उस तन्हाई में भी
खुद की रौशनी सारी है।।।

अब खामोशियों से
डर नहीं लगता,
क्योंकि दिल के हर
कोने में खुद से मिलने
की तैयारी है...!!!

Nishu __