...

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वे कोई और नहीं, वह मेरे पापा है।
छोटा था मैं उस वक्त.. मुझेसे चला नहीं जाता था,
कहने - बोलने की कोशिश करता.. लेकिन कहा नहीं जाता था,
डगमगाते कदमों को सहारा और मेरी अजीब आवाज को अर्थ दिया जिसने,
मेरे रुदन ओर मेरे चेहरे के भाव से जिसने मुझको भापा है...

वे कोई और नहीं, वह मेरे पापा है।

अच्छा और अच्छाई का पता दिया जिसने,
क्या भला है.. क्या बुरा है.. बता दिया जिसने...
जिसने मेरी खातिर अपनी निंदो को कुर्बान किया,
ना दिन देखा.. ना रात देखी.. मेने बार बार परेशान किया...
मेरी एक ही मुस्कान से जिसका दिन बन जाता है,

वे कोई और नहीं, वह मेरे पापा है।

वे उस वक्त भी जमाने को अच्छे से पहचानते थे,
हम गरीब है... यह सिर्फ वहीं जानते थे...
वे जब साथ रहते तो...