...

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नजाने क्यों !
नजाने क्या ढूंढता रहता हु इस अनजाने सफर में
ऐ खुदा ! ये दुनिया तेरी, ये शर्त तेरी , ये दीदार भी तेरा, नजाने ये "प्यास" ही क्यों मेरी !

तलाश मेरी हर वक्त ये किस लिए, राह में ये देखूं किसकी हर पल, नज़रे जुकाए यू ठहरा में, नज़ाने ये "आस" ही क्यों मेरी !

बंधन ये कैसा मेरा, ना कोई डोर ना कोइ धागा यहा
फिर भी में कैद यहा, कहा अटका कहा भटका में , नज़ाने ये "रिहाई" ही क्यों मेरी !