बिखर जाएगा,,
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,
आंसू से मोती बनता है बे
आंखों से बिखरकर रे,,
ज़िंदगी भर करता किच किच तू,
मरने के बाद क्या घंटा फर्क पड़ता है बे,,
जरा संभलकर चलता जो है ,,
वोही पाता है अपनी मंजिल को रे,