...

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नहीं जा सकता
इश्क़ का खुमार जो चढ़ जाए,
तो उतारा नहीं जा सकता।
हर सच को,
नकारा नहीं जा सकता।

इश्क़ न करना यारों,
इस सच को झुठलाया नहीं जा सकता।
सच्चा इश्क़ क्या होता है,
ये समझाया नहीं जा सकता।

मोह और मोहब्बत में है अंतर,
इन्हें दिखाया नहीं जा सकता।
हर शरीफ़ पर शराबी होने का,
इल्ज़ाम लगाया नहीं जा सकता।

मंज़िल तक पहुंचने से रोकने वालें बहुत मिल जाते हैं,
हर किसी को समझाया नहीं जा सकता।
रूठें हैं सभी हमारी राह से,
हर किसी को मनाया नहीं जा सकता।

रोकने वालों में से इश्क़ का भी काम है,
इससे ख़ुद को जिताया नहीं जा सकता।
हर पत्थर को भी पिघला दे ये,
इससे ख़ुद को बचाया नहीं जा सकता।

तैयारी कर लो ख़ुद को एक अलग पत्थर बनाने की,
हो जिससे कभी जीता नहीं जा सकता।
याद रखना मेरी बात जो काम आएगी,
पत्थर पर फ़ूल कभी खिलाया नहीं जा सकता।

प्यार में लोग एक-दूसरे को गुलाब देते हैं,
इसे इश्क़ के प्रतीक के रूप में देखा नहीं जा सकता।
पंखुड़ियां दिखाई देती हैं सबको इसकी,
इसके कांटों को देखा नहीं जा सकता।

गुनाह-ए-इश्क़ हो जाने से पहले ख़ुद को समझा लेना,
इसकी गिरफ्त से ख़ुद को छुड़ाया नहीं जा सकता।
याद रखना कि दुनिया में,
किसी भी मुर्गे को उड़ाया...