...

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वो ताला आज भी है.......
खामोश सर सराहट में वो बंद घर आज भी है
वो ताला आज भी है ,जहा कोई आता जाता नहीं.....!
कुछ तुम्हारी सासोंका एहेसास वहा आज भी है
कुछ सरसराहट पत्तों की आवाज वहा आज भी है
वो इंतज़ार तुम्हारा वहा पलता है जैसे सिपो का मोती
मेरे रास्ते की वो डगर वहां से आज भी है
वो ताला आज भी है ,जहा कोई आता जाता नहीं.....!
कभी उल्टा तेड़ा सा कभी उल्टासा जैसे उसे किसीने छुआ है
तेरे नरम हाथो की गरमाहट उसमे आज भी है
तेरी मोहोब्बत फिजा में वो आज भी है
खामोश घर में वों ताला आज भी है ,वो बंद घर आज भी है
वो ताला आज भी है, जहा कोई आता जाता नहीं ......!