...

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मैं और तुम, प्रिये।
मैं खेतों में लहलहाता हरा भरा धान,
तुम उसपर टकटकी लगातीं चिड़िया, प्रिये!

मैं आसमां पर छलांगे मारता खरगोश,
तुम बादलों में छेद करतीं सीढ़ियां, प्रिये।

मैं धुम्रपान सेहत के लिए हानीकारक का नारा,
तुम, गुरूर में फुकी जानेवाली बीड़िया, प्रिये!

मैं अदालत में न्याय अन्याय का खड़ा कटघरा,
तुम, खाकी में सच झूठ की फंसी बेड़ियाँ, प्रिये।

मैं कायल, मेरे इमान, वफा और वक़्त का,
तुम, जीन्स पर पहनी हुई चमकीली चुड़ियाँ, प्रिये।

मैं, हर नगर, हर देश फिरने वाला मुसाफ़िर,
तुम, गपशप लड़ाती, खिलखिलाती गुड़िया प्रिये।

मैं पुरब तुम पश्चिम, अगर मैं मेस्सी, तुम सचिन
तो बताओ कैसे बितायेंगे जिंदगी की घड़ियाँ, प्रिये।


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©shajidapathan

@_tikhi_qalam


© shaj