...

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उसके निकाह का दिन!! .....

बातें करने की आदत डालकर,
चली गई पराया करके,,
जो रातें उसकी बातों से होती थी,
वो अब उसकी यादों से होती हैं,,

अलविदा के चांद की तरह इंतजार करता था मैं उसका,,
लेकिन वो अमावस्या का चांद बन गई,

दिल ने मान लिया था उन्हे अपना
एक हिस्सा बना लिया था अपना,
वो भूल गई की इस बेशुमार दुनिया में ,,कोई है जो उसकी मोहबब्त का दीवाना है,,

क्यों दिल लगा लेता हु मै इतने जल्दी,
कम्भक्त ये भूल जाता हूं,
ये दुनियां दिलवालो की नही है,

उसका पिता नहीं हूं मैं ,
लेकिन उसकी बिदाई की दिन की सोचकर,
क्यों आंखें भर आई मेरी ?
मेरा उसका खून का रिश्ता भी नही है !
फिर भी उसके निकाह के वक्त!
ऐसा क्यों लगा, जैसे मेरे खून का
कतरा कतरा बह गया हो ,,

पैसा कमाने की उम्र में दीवानगी कमा बैठे,
इश्क लुटाने की दौड़ में
हम खुद को लुटा बैठे!

अपने शौहर के साथ खड़ी है वो ,
बहुत सुंदर लग रही है,
जैसे पूरी कायनात का हुस्न
समा गया हो उसमे!

उस नूर भरे चेहरे पर अब मेरी नजर नही जाती!
आंसुओ के भार से थोड़ी ,झुकी हुई है !
न जाने ऐसा कौन सा गुनाह किया था मैंने,?
जो खुदा ने
मुझसे मेरी मुस्कुराहट की वजह ही छीन ली !

कुछ वो भूल गई होगी वो मुझे,
कुछ इस दुनिया ने भुलवा दिया होगा !!
हर किसी को नही मिलती उनकी मोहब्बत,
क्युकी, हीरे का रौनक सोने के साथ ही बढ़ती है,

दिल से मोहब्बत करने वाले
अक्सर अकेले रह जाते हैं,
ये दुनिया इश्क से नहीं
व्यापार से चलती है,

© Mayank Kumar Kasaudhan