पहले
वो एक दिन भूल जायेगी, हमें मालूम था पहले,
नयी महफ़िल सजाएगी, हमें मालूम था पहले।
वो खुशबू गेसुओं की जिस पर,कभी सिर्फ हक था मेरा,
रकीबों को वो हक दे आएगी, हमें मालूम था पहले।।
मिटा कर ख्वाहिशें मेरी, तबाह कर मेरी नींदो को,
चैन से सो वो जाएगी, हमें मालूम था पहले।
तीर भी क्या चलाते हम, महबूब ही थी दुश्मनों के सफ में,
वो हमसे जीत जाएगी, हमें मालूम था पहले।।
वो जो मिलकर जलाये थे, मन्नतों के दीये मजारों पर,
'दीप' वो खुद ही बुझाएगी, हमें मालूम था पहले ।।
#dying4her
©AK47
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नयी महफ़िल सजाएगी, हमें मालूम था पहले।
वो खुशबू गेसुओं की जिस पर,कभी सिर्फ हक था मेरा,
रकीबों को वो हक दे आएगी, हमें मालूम था पहले।।
मिटा कर ख्वाहिशें मेरी, तबाह कर मेरी नींदो को,
चैन से सो वो जाएगी, हमें मालूम था पहले।
तीर भी क्या चलाते हम, महबूब ही थी दुश्मनों के सफ में,
वो हमसे जीत जाएगी, हमें मालूम था पहले।।
वो जो मिलकर जलाये थे, मन्नतों के दीये मजारों पर,
'दीप' वो खुद ही बुझाएगी, हमें मालूम था पहले ।।
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