environment
पर्यावरण को कब तक नुकसान पहुँचाओगे,
आखिर कब तक जंगल काटकर तुम घर बनाओगे,
जानवरों का घर उजाड़कर क्या सूकून की नींद ले पाओगे,
कहलाते तुम हो इंसान ना,
फिर हरकतें जानवर सी कर के खुद को इंसान कह पाओगे,
किसी रोज़ जब होगी जब ऊपर वाले से मुलाकात,
तो क्या मुँह दिखाओगे,
इंसानियत का ढोंग क्या वहाँ भी रचाने,
या धन का घमंड उन्हें भी दिखलाओगे।
© Anshu Aabha € soulwriter
आखिर कब तक जंगल काटकर तुम घर बनाओगे,
जानवरों का घर उजाड़कर क्या सूकून की नींद ले पाओगे,
कहलाते तुम हो इंसान ना,
फिर हरकतें जानवर सी कर के खुद को इंसान कह पाओगे,
किसी रोज़ जब होगी जब ऊपर वाले से मुलाकात,
तो क्या मुँह दिखाओगे,
इंसानियत का ढोंग क्या वहाँ भी रचाने,
या धन का घमंड उन्हें भी दिखलाओगे।
© Anshu Aabha € soulwriter