ऐसा लगा
ऐसा लगा
क्यों ऐसा लगा मैंने उसे देखा
क्यों ऐसा लगा मैंने उसे सोचा
रातें ये दिन
सिर्फ उसकी यादों में
खोए रहते हैं
पर इक खामोशी की चादर में
छुपकर सोए रहते हैं
न दिखाते हैं चेहरा अपना
आंसू भी इनकीआँखों में ख्वाब पिरोए रहते हैं
आज उसकी यादें कुछ कहना...
क्यों ऐसा लगा मैंने उसे देखा
क्यों ऐसा लगा मैंने उसे सोचा
रातें ये दिन
सिर्फ उसकी यादों में
खोए रहते हैं
पर इक खामोशी की चादर में
छुपकर सोए रहते हैं
न दिखाते हैं चेहरा अपना
आंसू भी इनकीआँखों में ख्वाब पिरोए रहते हैं
आज उसकी यादें कुछ कहना...