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धानो का गीत
धान उगेंगे कि प्रान उगेंगे उगेंगे हमारे खेत में, आना जी बादल जरूर ! चन्दा को बाँधेंगे कच्ची कलगियों सूरज को सूखी रेत में, आना जी बादल जरूर ! आगे पुकारेगी सूनी डगरिया पीछे झुके वन-वेंत, संझा पुकारेंगी गीली अँखड़ियाँ भोर हुए धन-खेत, गजी आना जी बादल जरूर, धान कँपेंगे कि प्रान कँपेंगे कँपेंगे हमारे खेत में, आना जी बादल जरूर ! धूप ढरे तुलसी-वन झरेंगे साँझ घिरे पर कनेर, पूजा की बेला में ज्वार झरेंगे, धान-दिये की बेर, आना जी बादल जरूर, धान पकेंगे कि प्रान पकेंगे पकेंगे हमारे खेत में, आना जी बादल जरूर !
© Kartik dubey