द कॉन्ज़िक्युएंस ऑफ लव
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सब कुछ धुँधला रहा है,
बिखर रहा है...
मैं धीरे-धीरे, आहिस्ते-आहिस्ते
ख़ुद को खो रहा हूँ...
अजीब सा एक सुकून मिल रहा है फ़िर भी इसमें मुझे!
एक नशा सा मेरे सिर पर सवार हो रहा है...
जिसमें धीमे-धीमे, कतरा-कतरा मैं होश गंवाता जा रहा हूँ...
मैं उसमें समाता जा रहा हूँ...
मैं...
सब कुछ धुँधला रहा है,
बिखर रहा है...
मैं धीरे-धीरे, आहिस्ते-आहिस्ते
ख़ुद को खो रहा हूँ...
अजीब सा एक सुकून मिल रहा है फ़िर भी इसमें मुझे!
एक नशा सा मेरे सिर पर सवार हो रहा है...
जिसमें धीमे-धीमे, कतरा-कतरा मैं होश गंवाता जा रहा हूँ...
मैं उसमें समाता जा रहा हूँ...
मैं...