...

14 views

वस्ल
ताउम्र रहेंगे दर बदर
कि कुछ समाधान होगा,
कभी दरमियां कुछ न होगा
कि वस्ल सिर्फ अरमान होगा!

वह भी वाकिफ है
फितरत से वक्त की,
जहां आज शाम ढली है
कल सूरज वहीं उदयमान होगा!

बस एक हम ही हैँ बेचैन
ताकते हैँ रहगुजर को
कुदरत का अपना तकाजा है
वक्त से ही हर एक काम होगा!

और जो फासले ना भी मिटे तो क्या
रहेंगे दर्ज कायनात की रूह पे
किस्से हमारे ,
जब जिक्र होगा प्रेम का
तो राधा बिना कहां श्याम होगा!




© All Rights Reserved