वो अधूरी सी छुअन…
वो अधूरी सी छुअन…
तुमने जो
यूँ ही
अनजाने में
मुझे छू भर लिया था, उस रात
उस छुअन की
सरसरी
आज भी
दौड़ जाती है मेरी देह पर
...
तुमने जो
यूँ ही
अनजाने में
मुझे छू भर लिया था, उस रात
उस छुअन की
सरसरी
आज भी
दौड़ जाती है मेरी देह पर
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