...

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ये ज़िम्मेदार लड़के ( अतुकांत कविता )
6 × 8 के,
छोटे कमरों में ..
अपनी दुनिया बसाते ..
ये लापरवाह कहे जाने वाले लड़के ....

सीख लेते हैं अनजाने ही,
ज़िन्दगी को जीने का हुनर ,
सपनों के आकाश में उड़ने वाले ,
हक़ीक़त की ज़मीन पर पैर जमाना भी बख़ूबी जानते हैं ....

घर से दूर ,
परिवारिक मोह को,
तह लगाकर दिल की अलमारी में,
कहीं सबसे नीचे छुपा कर रख देते हैं ..

त्यौहारों में,
घर पर वीडियो कॉल करके,
हर सदस्य को कैसे ताकते रहते हैं...
फिर कॉल डिस्कनेक्ट कर पोंछ लेते हैं
आँखों की कोर से ढलकते हुए आँसू ....

मन की करने वाले,
मन को मसोसना भी सीख जाते हैं...
और...