गजल
रात का सफर अकेले शुरू होता है
बियाबां में भी कहकशां होता है
जुगनुओं की मानिंद चमक उठते हैं...
बियाबां में भी कहकशां होता है
जुगनुओं की मानिंद चमक उठते हैं...