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बदलता नजरिया
यूं लगने लगा था रफ्तार भरे सफर में कि पैसे और रूतबे के आगे जीवन की कोई कीमत नहीं मगर इस दौर ने बता दिया कि जीवन से ज्यादा कीमती कुछ भी नहीं,

लुटा दी धन दौलत उसके नाम पर जिस भगवान का कुछ अता पता नहीं मगर जो बिना कुछ चाहे मदद कर जाए उस इंसान से बड़कर कोई भगवान नहीं,

पार्टियों में त्योहारों में अन्न धन लुटाना शान लगता था मगर जब गरीब का घर अन्न धन से भर जाए इससे बढ़कर कोई पार्टी नहीं कोई त्यौहार नहीं,

स्टाइलिश कपड़े और मेकअप में लिपा पोता चेहरा खूबसूरत लगता था मगर जो निस्वार्थ मन से डूबते जीवन को सहारा दे जाए उससे ज्यादा खूबसूरत कोई इंसान नहीं,

यूं लगने लगा था रफ्तार भरे सफर में कि पैसे और रूतबे के आगे जीवन की कोई कीमत नहीं मगर इस दौर ने बता दिया कि जीवन से ज्यादा कीमती कुछ भी नहीं।