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कुछ प्रत्याशाएँ..!
ज़िंदगी की कड़ी धूप में, प्रेम और विश्वास की छाया बनकर, घनी छाँव देना, जब मैं रूकूं, ज़रा हाथ देना, बस यही प्रार्थना ...।।

मुझे मंजिलों की तलाश नहीं, तुम्हारे साथ चल सकूं, जिन पर, वो राहें ही अज़ीज़ हैं, जब मैं आवाज़ दूं. तुम आवाज़ देना, बस यही कामना ...।।

कभी मिलना मुझसे यूं, और ऐसे गले लगाना, कि बस जाए
तुम्हारी खुशबू मुझमें, सारा जीवन महकता रहूं, बस जीवन की यही याचना...।।

कभी जब घनघोर अंधेरे, घेर लें कदाचित् मुझे और राह न कोई सूझे, अपना ही हिस्सा समझ, मुझे दे देना अपने हिस्से की कुछ रोशनी बस इतनी सी चाहना ...।।

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© निखिल