ओ छाया!
#छाया की कहानी
नन्हे-नन्हे पांवों से आंगन में तुम रेंगती थीं
तब भी मैं तुम्हारे संग चलती थी
किलकारियां ले तुम दौड़ती थीं
तब भी मैं तुम संग दौड़ती थीं
शाला से तुम दौड़ती आतीं थीं
मैं भी थकीं सी पीछे चलती...
नन्हे-नन्हे पांवों से आंगन में तुम रेंगती थीं
तब भी मैं तुम्हारे संग चलती थी
किलकारियां ले तुम दौड़ती थीं
तब भी मैं तुम संग दौड़ती थीं
शाला से तुम दौड़ती आतीं थीं
मैं भी थकीं सी पीछे चलती...