...

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एक नई पहचान
चलते चलते राहे बदल सी गई है
कभी खुली राहे थी अब बंद सी गई है

अंधेरे की चादर चारो तरफ फैल सी गई है
दिल और दिमाग की हालत अस्त-व्यस्त हो सी गई है

पर अभी भी ज्वाला अपने अंदर देखो तो जल रही है
अभी भी हमे चमकती किस्मत देखो तो बुला रही है

रुकते कदम हमारे अब आगे बढ़ने लगे है
सपने पूरे होते हमारे अब आगे दिखने लगे है

कुछ और मेहनत हम सब करने लगे है
कुछ और खून-पसिना हम सब बहाने लगे है

सोच अपनी और सकारात्मक बनाने लगे है
एक नई कोशिश से हम एक नई पहचान बनाने लगे है

© Rahul Naik⚡