मेरी रेल बनाते रहे...❤️❤️✍️✍️ (गजल)
हम रिश्तों में सदा तालमेल बनाते रहे
लोग मेरी वफ़ा को बस खेल बनाते रहे
उनके हिस्से में वफादारी नहीं आयी
जो मोहब्बत को बस रखेल बनाते रहे
मुझे एक पल थमने न दिया 'सत्या'
वो जान बुझ कर मेरी रेल बनाते रहे
सरसों की बोरी सड गयी पड़ी -पडी
वो खल को डालकर के तेल बनाते रहे
पहले तो उस पक्षी को दिया गया दाना
साथ ही वो छिप कर गुलेल बनाते रहे
जोड़ियां तो खुदा की मर्जी से बनती हैं
और लोग बेवजह बस मेल बनाते रहे
गुनाहगार तो वो लोग भी थे साहब
जो बेगुनाह लोगों को जेल बनाते रहे
© Shaayar Satya
लोग मेरी वफ़ा को बस खेल बनाते रहे
उनके हिस्से में वफादारी नहीं आयी
जो मोहब्बत को बस रखेल बनाते रहे
मुझे एक पल थमने न दिया 'सत्या'
वो जान बुझ कर मेरी रेल बनाते रहे
सरसों की बोरी सड गयी पड़ी -पडी
वो खल को डालकर के तेल बनाते रहे
पहले तो उस पक्षी को दिया गया दाना
साथ ही वो छिप कर गुलेल बनाते रहे
जोड़ियां तो खुदा की मर्जी से बनती हैं
और लोग बेवजह बस मेल बनाते रहे
गुनाहगार तो वो लोग भी थे साहब
जो बेगुनाह लोगों को जेल बनाते रहे
© Shaayar Satya
Related Stories