...

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खामोश मोहब्बत
क्यूँ करती हो तुम मुझसे
इतनी खामोश मोहब्बत

गर करती हो तुम तो बताती क्यूँ नहीं
दुनिया को अपनी खामोश मोहब्बत

दिल के पास रखकर भी मिलों की दुनियां बनायीं क्यूँ तुमने

क्या मैं बुरा हूँ, जो मुझसे इजहार कर तुमने
दुनिया से छुपा ली अपनी खामोश मोहब्बत

न होकर भी तन्हा, तन्हा गुज़र रहीं मेरी जिन्दगी
कब तक सम्भालू मैं, हम दोनों की खामोश मोहब्बत

कुछ तो कहो या कुछ तो इशारा करो, अये मेरी जिन्दगी
सरेआम तुम्हें नाम से पुकारें, या फिर कह दूँ तुम्हें जिंदगी

उम्र के इस आखिरी पड़ाव में तुम हो मेरी आखिरी जरूरत
अब तो आ भी जाओ मिलने मुझसे, मेरी खामोश मोहब्बत
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© mereadhurekhwab