...

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मेरी छाया ;मेरी दोस्त
#छाया की कहानी

पहली बार जब बचपन आया,
पीठ पीछे खड़ी थी मेरी छाया,
जब मैं चलता था चल देती ,
रुकता था तो ठहर जाती,
हर जगह मेरे साथ रहती,
अंधेरों में कहीं खो जाती...,

बड़ा हुआ तो कुछ बड़ी हो गयी,
उजालों में कुछ और निखर गयी,
जब जब मुश्किलों में मुझको पाया,
अकेला कभी न छोड़ा साथ निभाया,
बड़ा बेेहतर इसको अपना दोस्त पाया,
हर कदम पर सदा संंग रहती "मेरी छाया"!



© Manas