दिन बीत गए
जाने कितने दिन बीत गए
आए ना बलम मौरी गलिया
घबराए मन पगला मोरा
कही जाए ना मोहे बालम मोहे बिसरिया
हाए बलम कोन देस डाले हो डेरा
जाऊ तोहे ढूढ़न कैसे उस नगरिया
तक तक देखु चढ़ता सुरज
फिर रात ढलती मोर पिया
आए ना सूरत तोरी नज़रिया ,,
मे बिरहन की मारी
सूखे नयन नीर अब मोरे
एक तठ जमना
मे बेठू एक तठ फिर
बहाए निर सदियो से राधा जमना तीरे
© jitensoz
आए ना बलम मौरी गलिया
घबराए मन पगला मोरा
कही जाए ना मोहे बालम मोहे बिसरिया
हाए बलम कोन देस डाले हो डेरा
जाऊ तोहे ढूढ़न कैसे उस नगरिया
तक तक देखु चढ़ता सुरज
फिर रात ढलती मोर पिया
आए ना सूरत तोरी नज़रिया ,,
मे बिरहन की मारी
सूखे नयन नीर अब मोरे
एक तठ जमना
मे बेठू एक तठ फिर
बहाए निर सदियो से राधा जमना तीरे
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