मुझको
अजीब महफ़िल है सता रही मुझको,
बात बस हिज्र की बता रही मुझको।
वो बात करके अजीब लहजे से,
हश्र इश्क का समझा रही मुझको।
साथ में गुजारी थी एक उम्र हमने,
मुझे बताओ कैसे भुला रही मुझको।
जाते - जाते ये क्या जादू कर दिया,
अब नींद भी न सुला ...
बात बस हिज्र की बता रही मुझको।
वो बात करके अजीब लहजे से,
हश्र इश्क का समझा रही मुझको।
साथ में गुजारी थी एक उम्र हमने,
मुझे बताओ कैसे भुला रही मुझको।
जाते - जाते ये क्या जादू कर दिया,
अब नींद भी न सुला ...