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मेरी मिट्टी
मिट्टी ही मेरी वाणी है सदियों से सुनी कहानी है
प्रति भरतवीर हर विश्वविधा, विज्ञां ,धन, धर्म का शानी है।

हम याद करें सन सैंतालीस सन बासठ इंच हटे नहि थे।
वक्षों की ढाल से उन्मादी चट्टानों पर हम डटे ही थे ।
जब संघ शिकागो हंसा हम पर स्वामी ने सांस थमा दी थी ।
नोबल टैगोर ने बंगला से अंग्रेजी गीति जमा दी थी ।
विश्वान्तरिक्ष में रमन प्रभाव सा तन्हा तेरेसा- सेवा ।
वो आर्यभट्ट व भट्टाचार्य प्रति लोम सूत्र का दानी है।।
प्रति भरतवीर हर विश्वविधा, विज्ञां ,धन, धर्म का शानी है।

सो वैर सी मेधा जलती रह पश्चिम में हम कुछ खास रहें।
हम सतत पूर्व का स्नेह भरा सोरज संस्कृति में वास करें ।
आओ वह गर्व तेज स्मृति ले रिपु चीरें व बढें प्रतिपल  ।
स्व निर्भरता संकल्प सजें नवभारत को बुन कर मल मल ।
हर क्षेत्र कृषि संगीत सुधा सौंदर्य ख अनुसंधान करें
यह परम तीर्थ उर्वर वसुधा प्रभुता लावण्य का स्वामी है।।
प्रति भरतवीर हर विश्वविधा, विज्ञां ,धन, धर्म का शानी है।

हे देव, तुम्हीं हो रचनाकर, जलकर , बुनकर , तप - त्याग , समर।
हम तेरे घर की रक्षा में बलिदान करेंगे जीवन भर।
पर दाब से कण न झुकें न टुटें नहि सहमें हम उत्थान करें।
आओ हम पाठ पढ़ें व बढ़ें बुध का जुध का परिधान करें।
अंगद बन पांव जमा बैठें हर कूट , विभव , उच्छल रण का।
इह बच्चा युग का सैनिक है भारत सेनापति मानी है।।
प्रति भरतवीर हर विश्वविधा, विज्ञां ,धन, धर्म
का शानी है।

#देशप्रेम


गाइडलाइन :

ख = ब्रह्मांड,
इह = यहां


© शैलेन्द्र मिश्र ' शाश्वत '
15 अगस्त 2020