वक्त
वक्त की कुछ यादें याद आती है.
बचपन की टूटी फूटी बातें याद आती है.
वक्त को क्या बयान मैं करो 'साहब'
वक्त की मारी तो सारी दुनिया नजर आती है.
वक्त के एक तमाचे की देर होती है.
फिर बादशाह की गरीबी और
फकीर की अमीरी नजर आती...
बचपन की टूटी फूटी बातें याद आती है.
वक्त को क्या बयान मैं करो 'साहब'
वक्त की मारी तो सारी दुनिया नजर आती है.
वक्त के एक तमाचे की देर होती है.
फिर बादशाह की गरीबी और
फकीर की अमीरी नजर आती...