...

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यादें
अजीब है ये यादों का सिलसिला
बेवक्त चला आता है ।
थोड़ा करता है परेशान
थोड़ी खुशी भी दे जाता है ।
वो बातें जो तेरे साथ हुई थी
वो वादे जो तुझसे निभाने थे
एक पल में सब कुछ सिमट गया ।
क्या यह हुआ अनजाने में
कैसे उस छोटी सी बात का
बतंगड़ सा बन गया ।
वो सारी कल्पनाएं
जो तुझ संग जी थी मैने
सब एक झटके में निर्जीव हो गया ।
मैं चली गई कहीं दूर
शायद इस बीच तू किसी ओर का हो गया ।
रुख बदल गया हवाओं के
सब ख़ामोश सा हो गया ।
वो तारा भी अब वैसे कहां टीम टिमाता है
वो चांद भी अब क्यूं अपनी नज़रें छुपाता है ।
अजीब ये यादों का सिलसिला
बेवक्त चला आता है
बेवक्त चला आता है ।।
© kavithewriter