आख़िर क्यों ऐसी लगती हो ?
मैं नहीं जानता कि तुम मुझे ऐसी क्यों लगती हो,
ना होकर अपनी लगती हो।
राम ने तुमको पार किया था उस पार उतरने को,
पावन सरयू जैसी लगती हो।
अशोक वाटिका में, सीता के चारों ओर खिली थी,
उन कलियों जैसी लगती हो।
...
ना होकर अपनी लगती हो।
राम ने तुमको पार किया था उस पार उतरने को,
पावन सरयू जैसी लगती हो।
अशोक वाटिका में, सीता के चारों ओर खिली थी,
उन कलियों जैसी लगती हो।
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