...

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मां......
बेटी से मां तक के सफर में,
वो खुद के सफर में चलना ही भूल गई।
उलझे इन रिश्तो में,
वो खुद से खुद का रिश्ता बनाना ही भूल गई।
सपने तो कई बुने थे उसने भी
पर अपनो के सपनो को पूरा करते करते,
वो खुद का सपना पूरा करना ही भूल गई।
अपनो के लिए जीते जीते,
वो खुदके लिए जीना ही भूल गई।
रहे सभी सलामत,
वो खुद का खयाल रखना ही भूल गई।
हो अरमान सभी के पूरे,
वो अपने अरमानों को तक भूल गई।
आए न कोई आंच अपनो पर,
वो खुदको संभालना ही भूल गई।
दिन से लेकर रात तक के सफर में,
वो खुद के लिए जीना ही भूल गई।
कितने एहसान तोलोगे उसके,
वो अपनो के लिए खुद को ही बेच गई।
अपनो के लिए जीते जीते,
वो खुदके लिए जीना ही भूल गई।
बेटी से लेकर मां तक के सफर में,
वो खुद के सफर में चलना ही भूल गई।
#Happymothersday🌍❤️
© tejswii_madavi