...

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तुमको तकदीर बनाना है...
शोर भरी तन्हाई में जब तुम थी नजर आईं;
दिल की धड़कन बढ़ी जब तुम थी शरमाईं;
बस इक टक देखता रह गया तुमको,
जब बातों ही बातों में तुम यूं थी मुस्कुराईं।

सपने बुनते बुनते मैं पास खिंचा चला आया;
रह गया तुम में ,बदले में बेचैनी ले आया;
सोते जगते अब चैन नहीं खोजूं हर गीत बयारों में,
लोग कहें पागलपन है, मुझको तो बस प्यार समझ आया।

सपनों की दुनिया से बाहर लाकर,
तुमको अपनी तकदीर बनाना है;
बनकर के सिंदूर तुम्हारा 'हे! वामा'
तुमको अपनी तस्वीर बनाना है।
© pagal_pathik