जिंदगी की डगर में
नींद आए पास मेरे
तारों की चमक में
उठूं में भोर के साथ
सूरज की फलक में
मैं एक सफर पर
बिन हमसफर के
जिंदगी की डगर में
बिन किसी मगर के
निकला हूं मैं राही
लक्ष्य है लक्ष्य को खोजना
मंज़िल वहां जहां ऋतु ले जाए
न कोई रास्ता, न कोई योजना
जिंदगी के साथ, बहाव में जैसे
मार्ग में...
तारों की चमक में
उठूं में भोर के साथ
सूरज की फलक में
मैं एक सफर पर
बिन हमसफर के
जिंदगी की डगर में
बिन किसी मगर के
निकला हूं मैं राही
लक्ष्य है लक्ष्य को खोजना
मंज़िल वहां जहां ऋतु ले जाए
न कोई रास्ता, न कोई योजना
जिंदगी के साथ, बहाव में जैसे
मार्ग में...