...

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मेरे मालिक
गहराती इन आँखो ने तुम्हें पुकारा हैं,
मेरे मालिक, मुझे अब तेरा ही सहारा है...
साँसों की तड़पन ने मुझे बहोत उलझाया है,
मेरे मालिक,मैंने तेरा नाम ले लेकर, इन्हें सुलझाया हैं...,
गिरती रहूँ, तेरे चरणों में, ये सौभाग्य, मैंने पाया हैं,
मेरे मालिक, तूने हर बार मुझे बचाया हैं,
हाँ बची हूँ, मैं, अब तक...
इसिलिए तेरा बच्चा,अब अपने सम्पूर्ण अहँकार का समर्पण,
तेरे चरणों मे लाया हैं,
बाबा इसे स्वीकार करना... किंतु मुझे भी स्वीकार करना..बिना तेरे ये पूरा जग ही पराया हैं,

ये मोती जो विरह में तेरे, छलक ही जाते हैं, अक्सर...
मैं कैसे कह दूं..., के तूने ह्रदय से मुझे, अपने नहीँ लगाया हैं,
मेरे मालिक, मैंने ख़ुद को..ख़ुद से ज्यादा,तेरे ही करीब पाया हैं।
आभार प्रभुजी।🍎

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© nikita sain