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कृष्ण स्वयं चले आते हैं 🦚🌿
भक्त जब भी बुलाते हैं...
बिन देर किए कृष्ण स्वयं चले आते हैं...

हाथों में मुरली,सिर मोर पंख..
उनके कमर करधनियां साजे हैं...
बिना देर किए कृष्ण स्वयं चले आते हैं...

हाथों में कंगन, कानों में कुंडल,
पावों की पायल छमछम बाजे हैं...
जब बुलाओ,कृष्ण स्वयं चले आते हैं...

कभी दुष्टों का संहार करने
कभी भक्तों का उद्धार करने..
जाने कितनी लीलाएं रचाते हैं...
कभी-कभी कृष्ण स्वयं चले आते हैं...

कभी प्रेम की परिभाषा समझाने
कभी अज्ञान अर्जुन को गीता ज्ञान देने
कभी मित्र सुदामा को गले लगाते हैं..
हां वो कृष्ण हैं.. मन को पढ़ पाते हैं..

कभी राधारानी के प्रेमी बनकर,
कभी रूक्मणी के स्वामी बनकर...
कभी गोपियों को बेमतलब सताते हैं..
कभी बिन बुलाए ही कृष्ण स्वयं चले आते हैं।
© ~ आकांक्षा मगन “सरस्वती”