...

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ये इश्क है, बर्बादी का आगाज़ !
ये स्याह आसमां,
घूर रहा है मुझे, और
मैं इसके 'धुंधलाते' सितारों के बीच,
अब भी कभी-कभार ढूंढ लेता हूं,
वो पुरानी यादें, पुराने लम्हें,
वो पुराने मुलाक़ात,
और साथ बिताए कुछ रात।

पर तुम तो यूं हीं चले गए...
किया मुझसे प्यार का प्रतिघात।
अब मैं भी जान चुका हूं वो बात,
कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए,
अब नहीं है, कोई जज़्बात।

रस्म निभाते तुम्हारे ये हाथ,
ये जनम जन्मांतर का साथ,
सब छलावा है, सब दिखावा है।
किससे कहूं? आख़िर कौन समझेगा?
हर पल बदलते मेरे ये हालात।
बेचैन-सा बैठा हूं, छिप कर अकेला,
खाली है दिमाग़, पर दिल में है उठा-पटक,
और...