❤ स्त्री ❤
❤स्त्री❤
**********
' स्त्री ' से कभी कोई भाव
तुम गहरा ना रखना..
गर रखना कोई तुम भाव गहरा ,
तो शीशे सा साफ़,
अपना चरित्र रखना..!
ना मिलना उसके पास जा कर..
ना अपनी हाथों से उसे स्पर्श करना..
छु सको तो, छु लेना उसके मन को तुम,
उसके तन को छूने की,
नापाक कोशिश ना करना..!
ना कहना, ना जताना ये कह कर...
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' स्त्री ' से कभी कोई भाव
तुम गहरा ना रखना..
गर रखना कोई तुम भाव गहरा ,
तो शीशे सा साफ़,
अपना चरित्र रखना..!
ना मिलना उसके पास जा कर..
ना अपनी हाथों से उसे स्पर्श करना..
छु सको तो, छु लेना उसके मन को तुम,
उसके तन को छूने की,
नापाक कोशिश ना करना..!
ना कहना, ना जताना ये कह कर...