...

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मां
मां की परिभाषा क्या है ? ?
मां को तो परिभाषित ही नहीं किया जा सकता ! !
मां तो धरती है ....
जिसकी गोद में बच्चा बड़ा होता है !!
मां तो आकाश है !!
जिसके आंचल में बच्चे सपने बुनता है!!
मां तो जल है ....
जिसकी बूंद बूंद हमें जीवन निर्मल शुद्ध बनाती है !!
मां तो हवा है....
जो हमें जीने की ख्वाहिश जगाती है !!
मां तो उजाला है ....
जो अंधेरे में टिमटिमाता दीपक बन जाती है!!
मां तो ज्ञान है ....
जिसकी पाठशाला जीवन दर्शन सीखती है !!
मां तो गुरु है....
जो हमें प्रथम गुरु बनकर अच्छे बुरे का पाठ पढ़ाती है...