रिश्ते
रिश्ते खो गए हैं कहीं आज_कल
अपने ही अजनबी हैं,
रिश्ता चाहे जन्म से हो या कर्म से
न जाने क्यों इतना बदल दिया इन्हे वक्त ने
क्यों मासूमियत आज मक्कारी में बदल गई,
झूठ बोलकर अपनी गलती दूसरे पे
क्यों डाली गई,
क्यों इतना कमजोर हो गया वो रिश्ता,
बचपन आज भी जिसमे दिखता,
जब काम खुद का हो सब भूल चले आते हैं
काम होते ही, अदब भी भूल जाते हैं,
साथ खेले, साथ बड़े हुए हैं,
लड़ते_ झगड़ते ही बड़े हुए हैं,
आज अब बहुत कुछ बदल रहा है,
सोचा था हम...
अपने ही अजनबी हैं,
रिश्ता चाहे जन्म से हो या कर्म से
न जाने क्यों इतना बदल दिया इन्हे वक्त ने
क्यों मासूमियत आज मक्कारी में बदल गई,
झूठ बोलकर अपनी गलती दूसरे पे
क्यों डाली गई,
क्यों इतना कमजोर हो गया वो रिश्ता,
बचपन आज भी जिसमे दिखता,
जब काम खुद का हो सब भूल चले आते हैं
काम होते ही, अदब भी भूल जाते हैं,
साथ खेले, साथ बड़े हुए हैं,
लड़ते_ झगड़ते ही बड़े हुए हैं,
आज अब बहुत कुछ बदल रहा है,
सोचा था हम...