हमारी मुहब्बत
हमारी मुहब्बत
लाख रंजिशें चाहे बसा लो दिल में तुम अपने,
मुहब्बत कभी हमारी फिर भी उससे कम न होगी ।
ज़माना इस मुहब्बत को, इकतरफ़ा गर कह भी ले लेकिन,
अपनी जान से बढ़कर, रग रग में बसाया लिया है मैंने इसे ।
...
लाख रंजिशें चाहे बसा लो दिल में तुम अपने,
मुहब्बत कभी हमारी फिर भी उससे कम न होगी ।
ज़माना इस मुहब्बत को, इकतरफ़ा गर कह भी ले लेकिन,
अपनी जान से बढ़कर, रग रग में बसाया लिया है मैंने इसे ।
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