...

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किताबें
हर के जीवन का किस्सा बन जाती है,
किताबें जिंदगी का एक हिस्सा बन जाती है।

बच्चों के साथ स्कूल यें जाती है,
बूढ़ो के अकेलेपन को यह दूर भगाती है।

कुछ बच्चों के कंधो पर भोझ यह कहलाती है
और कुछ बच्चों के कंधों पर सारी दुनिया इन्हीं में समाती हैं।

कभी गरीबों की थाली की रोटी बन जाती है
कभी टूटे हुए इंसान को फिर यह जोड़ दिखाती है

घर बैठे बच्चों को परियों की दुनिया दिखलाती है
कवियों और लेखको की ये सच्ची दोस्त कहलाती है

भगवान से विज्ञान तक की शिक्षा हमे दे जाती है
भूत-वर्तमान,आकाश-धरती सब इसमें समाती है।




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