...

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वक़्त और हालात के भंवर..
वक़्त और हालात के भंवर जब आते हैं
सामना करना ही पड़ता है
विधाता के लेख कौन बदल पाते हैं..

इंसान ही नहीं जो बधां है भाग्य से
इतिहास कहता है खुद भगवान भी बधं जाते हैं..
विधाता के लेख कौन बदल पाते हैं..

भुंजी मछलियां भी जल में कूद जाती हैं
वो राजा नल राज पाठ जुएं में हार जाते हैं..
विधाता के लेख कौन बदल पाते हैं..

इधर राज्याभिषेक की तैयारी की धूम है उधर सियाराम लखन वन को निकल जाते हैं..
विधाता के लेख कौन बदल...