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सुब‍ह हो या शाम...!!!
सुब‍ह हो या शाम, जीवन का ये पैग़ाम,
हर लम्हे में छिपा है, कोई नया अरमान।
सूरज की किरणें, सुबह को सजाती,
जग में नई रौशनी, हर तरफ़ फैलाती।।१।।

चहकते हैं पंछी, गुनगुनाती हवाएं,
नया सवेरा लाए, उम्मीदों की छांव लाए।
हर कण में बसी है, ऊर्जा की कहानी,
सपनों की उड़ान, आसमानों तक जानी।।२।।

फिर आए शाम, अपने रंगों से सजी,
धूप के साये में, रात चुपके से बजी।
चाँद की चाँदनी में, तारे खिलते हैं,
शांति का संदेशा, दिलों को मिलते हैं।।३।।

सुब‍ह हो या शाम, बस एक एहसास,
हर पल की ख़ूबसूरती, है जीवन का प्रकाश।
जो बीत गया, वो यादों में रहे,
आने वाला कल, नई किरणों में सजे।।४।।
© 2005 self created by Rajeev Sharma